Sunday 12 January 2014

लक्ष्मण रेखा न तो मर्यादा की सीमा रेखा थी और न ही सुरक्षा की चेतावनी

लक्ष्मण रेखा न तो मर्यादा की सीमा रेखा थी और न ही सुरक्षा की चेतावनी, क्योंकि सीता स्वयं मर्यादा थी और श्री राम मर्यादा के रक्षक. अब जिसके रक्षक खुद राम हों उन्हें किससे भय हो सकता है. लक्ष्मण रेखा अनुल्लंघनीय भी नहीं थी एक महान उद्देश्य के लिए उसका लांघ जाना भी जरुरी था. लक्ष्मण रेखा सीख थी उपाय था सुरक्षा और मर्यादा का प्रतीक मात्र.. उद्धेश्य था रावण का वध जो हुआ भी सफलतापूर्वक. जनता खुश हुई आतिशबाजी हुई मेले लगे.. राम अयोध्या लौटे.. और भूल गए कि मर्यादा, रावन के वध से ज्यादा जरुरी थी उसकी सुरक्षा जरुरी थी उसे सहेजना जरुरी था..लेकिन नहीं देर हो चुकी थी, कुछ वर्षों बाद धरती फटी मर्यादा उसमें समा गयी हमेशा के लिए.. राम देखते रह गए प्रजा ने भी देखा.. दुःख मनाया फिर भूल गए ..ख़ुशी मनाई कि अब दुष्ट रावन नहीं रहा. आज भी मना रहे हैं और शायद हमेशा जारी रहे..याद नहीं वो दिन कौन सा था जब मर्यादा धरती में समायी थी वही मर्यादा जो रावन के वध का सबसे बड़ा कारण थी..

No comments:

Post a Comment

जनसंपर्क अधिकारियों अब ईमेल छोड़ो, मुनादी करो।

इस हफ्ते 4,000 से अधिक भारतीय पत्रकार और जनसंपर्क अधिकारी मुनादी में रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं । तो आप किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं ?  बाउंस...