Monday 27 January 2014

कमियां इसमें भी नहीं हैं और उसमें भी नहीं थीं - बी.पी. गौतम


सूत्र जिन्दगी के हों या गणित के, सब जगह एक समान ही रहते हैं, हर जगह दो और दो चार ही होते हैं, इसी तरह अनुभूति अमेरिका में की जाये या नीदरलैंड में, समान प्रभाव ही छोड़ेगी, पर मन हर जगह और हर समय समान नहीं रहता, इसे वो चाहिए, जो नहीं है, मन पर काबू पाने की कला जिसे आती है, वो मस्त और स्वस्थ रह सकता है, खास कर उन टीन एजर्स के लिए यह पोस्ट डाल रहा हूँ, जो बहुत जल्दी ऊब जाते हैं, लडकियाँ विशेष ध्यान दें कि इस धरती पर कोई परफेक्ट नहीं है, सब में कुछ न कुछ कमी है, वो अपने में पूर्ण है, लेकिन आपके अनुरूप नहीं है, आपके अनुरूप धरती पर कोई है ही नहीं, क्योंकि उसमें दिमाग है और जिसमें दिमाग होगा, वह सोचेगा, उसकी अपनी पसंद होगी, अपने स्वाद होंगे, बोलने-चलने से लेकर उठने-बैठने तक अपने अंदाज़ होंगे, वो आपकी ख़ुशी के लिए जितना बदल सकता है, उतना स्वतः बदल जाएगा, उससे अधिक की अपेक्षा के दबाव में जो है, वो भी खत्म हो जाता है, कुछ लोग न दबाव देते हैं और न ही अपेक्षा रखते हैं, शांत रहते हैं, सब ठीक चलता रहता है, लेकिन शादी, ट्रेन, बस, फेसबुक, मोबाइल, घर, पड़ोस, ऑफिस या कहीं भी अवसर मिलते ही स्पेस दे देते हैं, यही स्पेस प्रेमी, पति, साथी, दोस्त जो भी है, उससे धीरे-धीरे दूर ले जाने लगता है, नया वाला एक पल को परफेक्ट नज़र आने लगता है और उधर से खत्म कर इधर जुड़ने के बाद पता चलता है कि इसमें तो उससे भी ज्यादा कमियां हैं, जबकि कमियां इसमें भी नहीं हैं और उसमें भी नहीं थीं, कमियां आपकी पसंद में भी नहीं हैं, पर जिस ख़ुशी को आप किसी और में खोज रहे हैं, वह मिलनी नामुमकिन है, ख़ुशी खुद के अंदर ही रहती है, उसे जगाइए और मस्त रहिये, इस भागा-भागी का कोई अंत नहीं है ... एक उदाहरण देता हूँ, बहुत बड़े परिवार की महिला है, दो वर्ष शादी को हुए हैं, वो महिला सुबह दस बजे से रात के दस बजे तक एक लड़के से चैट करती है, मोबाइल पर बात करती है, लड़के ने कुछ देना चाहा, तो साफ़ मना कर दिया, उल्टा खुद शॉपिंग कर उसे महंगे गिफ्ट दे गई, लड़के ने सेक्स की इच्छा जाहिर की, तो साफ़ मना कर दिया और बोली कि उनसे अच्छा नहीं कर पाओगे, बहुत अच्छे से करते हैं वो, लड़के ने सवाल किया फिर क्यूं पीछे पड़ी हो, तो उसने कहा कि उनके पास मुझ से बात करने का टाइम नहीं है, वो तुम अच्छी करते हो, बाकी सब उनका ही अच्छा है, बहुत प्यार करते हैं, बहुत पैसे देते हैं, नौकर, गाड़ी, घर सब है, कुछ नहीं चाहिए, मेरी जानकारी में यह केस जब से आया है, तब से इस विषय पर शोध कर रहा हूँ ... क्योंकि वो रात-दिन यह सोच कर जुटा हुआ है कि पत्नी और बच्चों को और लग्जरी लाइफ दे दूं, पर वो लग्जरी पत्नी को नहीं भा रही, उसे साथ चाहिए ... अब यहाँ सवाल यह है कि वो बहुत अच्छी बातें कर रहा होता और लग्जरी लाइफ न दे पाता तो ... इसलिए एडजस्टमेंट की हिंदी चाहे जो हो, अर्थ उसका आदर्श होता है ... प्राकृतिक स्वतंत्रता का अर्थ है कि इंसान अपने मन से जिए, जैसे जानवर जीते हैं, लेकिन इंसान की स्वतंत्रता समाज के अधीन है, क़ानून के अधीन है, परिवार के अधीन है, रिश्तों के अधीन है, इन सब के दायरे में रहने के बाद जो बचता है, वो खुद का है, उसे जी लो, पवित्र और पूज्यनीय गंगा किनारों से बाहर निकलने लगती है, तो गालियाँ देते हुए किसी को संकोच नहीं होता ... इस संकोच को बनाये रखें ...

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